शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

बारिश में बाहों को

बारिश में बाहों को फैला के तो देखो
अपने मन को बूंदों से भीगा के तो देखो
दर्द दुख जो है तेरे सारे
बह जायेंगे पल भर में सारे
चेहरे पर हर पड़ती हुई बूंद
बिखरा देगी उलझनों की धुंध
यह बारिश की बूंदे देती है तुम्हे एक इशारा
जियो दिल से जिंदगी नही मिलती दोबारा
निर्मलता रहे सदा दिल में तुम्हारे
अपने लिए क्या हो क्या हो खड़े बनो दूजो के सहारे
अपनी बाहों को जरा फैला के तो देखो
दिल से रिश्ते निभा के तो देखो
बारिश की तरह बिखर जाओ ऐसे
सूरज की किरणे बिखरती है जैसे
आशाओं के दिया जला के तो देखो
बारिश में बाहों को फैला के तो देखो

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