शुक्रवार, 1 मार्च 2013

समंदर किनारे


मै बैठा था उफनते समंदर,
के रेतीले तट पे,
तन सिहर उठा जब,
छुआ ठंडी हवा के झोके ने.

चारो तरफ छाया था,
घनघोर अँधेरा,
समुन्दर की लहरों ने,
कर दिया मुझे गीला.

पक्षी चहचहा रहे थे,
हजारो सीप थे तट पे,
नारियल के वृक्ष थे खड़े,
हजारों की संख्या में.

मेरे जीवन का यह सबसे हसीन पल था,
वह एक पल, इक वर्ष के समान था.

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